वाशिंगटन: राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) का नया मंगल अभियान स्पेसक्रॉफ्ट लाल ग्रह की कक्षा में पहुंच गया है। नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगल की कक्षा तक पहुंचने के लिए इस अंतरिक्षयान ने 10 महीनों के दौरान 70.4 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की है और यह कक्षा से मंगल के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करेगा। नासा के ग्रह विज्ञान के निदेशक जिम ग्रीन ने एक बयान में कहा है, ‘‘यह बेहद महत्वपूर्ण घटना है।’’

इस मिशन में मंगल के वायुमंडल के विशिष्ट बिंदुओं का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा और इसके द्वारा भेजी गई तस्वीरों से मंगल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल के गुणों को समझने में मदद मिलेगी। कक्षा में प्रवेश करने के बाद मावेन को छह सप्ताह के अंदर अंतिम कक्षा में स्थापित किया जाएगा और इसमें मौजूद उपकरणों की जांच की जाएगी। इसके बाद वैज्ञानिक मंगल ग्रह की रचना, संरचना और ऊपरी वायुमंडल से गैसों के पलायन का अध्ययन करेंगे। साथ ही सूर्य तथा सौर वायु से मंगल के संबंधों का भी अध्ययन किया जाएगा।

युनिवर्सिटी ऑफ कोलराडो बाउल्डर लेबोरेटरी फॉर एटमोस्फेरिक एंड स्पेस फिजिक्स में मावेन के मुख्य जांचकर्ता ब्रूस जैकोस्की ने कहा, ‘‘मावेन विज्ञान मिशन का उद्देश्य कई सवालों के जवाब पाने पर केंद्रित है, जैसे मंगल ग्रह पर प्रारंभ में जल और कार्बन डाई ऑक्साइड उपस्थित था, आखिर वह गया कहां।’’ इसके अलावा, मंगल का इतिहास, इसकी जलवायु और जीवन की संभावनाओं से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर पाना भी इस मिशन का उद्देश्य है।

  
चार सेकंड तय करेंगे मंगलयान का भविष्य


बेंगलुरु। भारत के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट "मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम)" यानी मंगलयान के 24 सितंबर में मंगल ग्रह के कक्ष में प्रवेश से पहले सोमवार को अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। इस दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के वैज्ञानिक 10 महीने से स्लीप मोड में रहे यान के इंजन को स्टार्ट करेंगे। यह प्रक्रिया भारतीय समयानुसार दोपहर ढाई बजे शुरू की जाएगी।
अगर वैज्ञानिक इसे सफलतापूर्वक पूरा कर लेते हैं तो 24 सितंबर को भारत मंगलयान को मंगल ग्रह के कक्ष में स्थापित करने में कामयाब हो जाएगा। 450 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए गए मंगलयान को नवंबर 2013 में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था। मंगलयान में सफल होने पर भारत दुनिया में ऐसा पहला देश होगा जिसने एक बार में ही यान को मंगल ग्रह की कक्ष में पहुंचा दिया। अब तक कई देशों से कुल मिलाकर 51 मंगल मिशन भेजे हैं जिसमें से केवल 21 ही कामयाब रहे हैं।
ये होगी प्रक्रिया
मंगलयान की 440 न्यूटन लिक्विड अपोजी मोटर (एलएएम) का इंजन पिछले 300 दिनों से स्लीप मोड में है। वैज्ञानिक इसे चार सेकंड के लिए स्टार्ट करेंगे। यह प्रक्रिया 24 सितंबर को आखिरी पड़ाव के पहले की तैयारी पूरी कर देगी। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि इंजन को शुरू करना एक अत्यंत कठिन चरण होगी। सारे कमांड अपलोड कर दिए गए हैं और यान के प्रमुख सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक सबसिस्टम अलर्ट मोड पर डाल दिए गए हैं। चार सेकंड के लिए इंजन शुरू कर यह पता चलेगा कि इसे 24 सितंबर को मंगल ग्रह के कक्ष में पहुंचाने के लिए लंबे समय तक चालू किया जा सकती है या नहीं।
इंजन के लिए तैयार हैं दो प्लान
इंजन शुरू करने की जटिल प्रक्रिया के लिए इसरो ने दो प्लान तैयार किए हैं। अगर प्लान ए असफल होता है तो विकल्प के तौर पर प्लान बी का उपयोग किया जाएगा। इसमें आठ थ्रस्टर लंबे समय तक के लिए फायर किए जाएंगे। हालांकि मंगल ग्रह के कक्ष तक जाने के लिए इस प्लान में ज्यादा ईंधन का उपयोग होगा।
24 सितंबर की प्रक्रिया कुछ ऐसी होगी
सोमवार को इसरो अगर मंगलयान के इंजन को स्टार्ट करने में सफल होता है तो 24 सितंबर को आसानी से यह कक्ष में पहुंच जाएगा। इसके बाद मंगलयान की गति को 22.1 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से कम कर 4.4 किमी प्रति सेकंड तक लाया जाएगा। कक्ष तक सफलतापूर्वक पहुंचाने के लिए इंजन को 24 मिनट तक फायर किया जाएगा।
22 सितंबर को इंजन को चार सेकंड के लिए फायर करना इस बात की पुष्टि कर देगा कि 10 महीने से स्लीप मोड वाल इंजन ठीक है। इसी के साथ हम 24 सितंबर को प्लान के मुताबिक आगे बढ़ सकेंगे। हमने 10 दिन पहले ही सारी जांच पूरी की ली है और इस मिशन में हम निश्चित रूप से सफल होंगे।
- एम अन्नादुरै, प्रोग्राम डायरेक्टर, इसरो

मंगल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में पहुंचा मंगलयान

मंगलयान
मंगल की थाह लेने जा रहा भारत का महत्वाकांक्षी मंगलयान उसके गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र में पहुंच गया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने सोमवार को ट्विटर पर कहा, "हमारे नेविगेटरों की गणना के मुताबिक मंगलयान मंगल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश कर गया है."
मंगल से 5.8 लाख किलोमीटर दूर से उसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र शुरू हो जाता है.

इसरो की योजना सोमवार को ही मंगलयान की दिशा सही करने की है और साथ ही उसके तरल ईधन का भी परीक्षण होना है.
दस महीने से सुषुप्त पड़े इस इंजन को करीब चार सेकंड तक चालू रखा जाएगा.

मोदी की मौजूदगी

मंगलयान 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा और इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी बेंगलूर में इसरो के केंद्र में मौजूद रहने की संभावना है.

भारत अगर अपने मिशन में कामयाब रहता है तो वह मंगल पर सफल मिशन भेजने वाला एशिया का पहला और दुनिया का चौथा देश होगा.
मंगलयान
मंगलयान को पिछले साल नवंबर में प्रक्षेपित किया गया था.
मंगलयान को पिछले साल पांच नवंबर में प्रक्षेपित किया गया था.