Friday 26 September 2014

आपदा के जख्म, मुआवजे की लूट, केदारघाटी में मुआवजा राशि के वितरण में करोड़ों का फर्जीवाड़ा, दुकानों में क्षतिग्रस्त हुई सामग्री के मूल्यांकन में हुआ बड़ा खेल

आपदा के जख्म, मुआवजे की लूट

केदारघाटी में मुआवजा राशि के वितरण में करोड़ों का फर्जीवाड़ा
दुकानों में क्षतिग्रस्त हुई सामग्री के मूल्यांकन में हुआ बड़ा खेल

अपंजीकृत व्यापारी संगठन को सौंप दी आंकलन की जिम्मेदारी
आपदा के जख्म, मुआवजे की लूट
देहरादून: करीब सवा वर्ष पूर्व केदारनाथ में भीषण आपदा आई। जल प्रलय ने केदारनाथ से तिलवाड़ा तक सब कुछ तहस-नहस कर दिया। इस प्रलय ने न सिर्फ पांच हजार से अधिक लोगों की जिंदगी लील ली बल्कि केदारघाटी के हजारों परिवारों को बेघर कर दिया। वर्षों की कमाई और बैंक के लोन से खड़े किये गये लोगों के लाखों के व्यावसायिक भवन जमींदोज हो गये। यूं कहा जा सकता है कि घाटी का पूरा इनफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त हो गया। ऐसे हजारों परिवार जिनकी आजीविका केदारनाथ यात्रा पर निर्भर थी, वे आज भी दो जून की रोटी के लिये मोहजात हैं। आपदा के इन जख्मों को भरने के लिये देश और दुनिया के लोगों ने दिल खोलकर राशि दान दी। केन्द्र सरकार से भी करोड़ों की इमदाद राज्य सरकार को मिली। लेकिन, आज भी सैकड़ों पर ऐसे लोग हैं जिन्हें अब तक मुआवजा राशि तक नहीं मिल पाई है।
दूसरी ओर, यही मुआवजा राशि गिने-चुने रसूखदार लोगों के लिये वरदान साबित हो रही है। जिन लोगों को मुआवजा राशि का सही आंकलन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वही फर्जीवाड़ा करके इसे हड़पने में लगे हुये हैं। खुलेआम मुआवजा बजट की बंदरबांट की जा रही है। या यूं कहें पैसों की लूट मची हुई है। इस प्रकरण में स्थानीय विधायक और जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। दरअसल, जलप्रलय के बाद केदारघाटी में जब रेस्क्यू आपरेशन पूरा हो गया तो राज्य सरकार ने आपदा पीड़ितों को मुआवजा राशि बांटने की प्रक्रिया शुरू की। व्यक्ति की मौत, व्यक्ति के लापता होने, मुकान के क्षतिग्रस्त होने, व्यावसायिक भवन के ध्वस्त होने आदि अधिकांश मामलों में राज्य सरकार ने मानक निर्धारित कर मुआवजा राशि बांटने के निर्देश दिये। लेकिन, सबसे बड़ी समस्या यह सामने आयी कि आपदा में ध्वस्त हुये व्यावसायिक भवनों, दुकान आदि के भीतर नष्ट हुये सामान का आंकलन व मूल्यांकन कैसे किया जाये। इसकी जिम्मेदारी व्यापारियों को ही सौंप दी गई। तिलवाड़ा से केदारनाथ तक के जितने भी स्थानीय व्यापारी संगठन थे, उन्होंने सामूहिक रूप से ”संयुक्त व्यापार संघ केदारघाटी” नाम का एक संगठन बनाया, जिसे प्रत्येक व्यापारिक प्रतिष्ठान अथवा दुकान में नष्ट हुई सामग्री के आंकलन के साथ ही मूल्यांकन की जिम्मेदारी सौंप दी गई। हुआ यह कि ‘संयुक्त व्यापार संघ’ के पदाधिकारी ही मुआवजा राशि की बंदरबांट में जुट गये। छोटे व मझले दरजे के व्यापारियों ने अपनी दुकान में हुये नुकसान के लिये शपथ पत्र समेत अनिवार्य दस्तावेज प्रस्तुत किये लेकिन उनमें से कई को मुआवजा देना तो दूर आपदा पीड़ितों की सूची में तक उनका नाम शामिल नहीं किया गया। ऐसे व्यापारी दर-दर भटकते रहे लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हुई। विधायक व जिला प्रशासन से की गई गुहार का भी कोई असर नहीं हुआ है। इससे इतर, आइये समझते हैं कि ‘संयुक्त व्यापार संघ’ के पदाधिकारियों ने कैसे आपस में अथवा अपने चहेतों के बीच मुआवजा राशि की बंदरबांट की ।
केस 1- प्रेम सिंह सजवाण निवासी लमगौंडी ‘संयुक्त व्यापार संघ’ के अध्यक्ष हैं। इनके केदारनाथ और रामबाड़ा में एक-एक होटल थे जो क्षतिग्रस्त हो हैं। मुआवजा राशि में उनके दोनों पुत्रों दीपक सिंह और आशीष सजवाण को को इन होटलों में वेटर दर्शाया गया। ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि सरकार की ओर से ध्वस्त हुये होटलों में काम करने वाले वेटरों को आजीविका के लिये 25 हजार प्रति वेटर के हिसाब से मुआवजा दिया गया। यानि मुआवजे के खातिर होटल मालिक दस्तावेजों में वेटर बन गये।
केस 2- प्रेम सिंह सजवाण की पत्नी पुष्पा सजवाण का गौरीकुण्ड में ‘सजवाण कोल्ड ड्रिंक’ नाम से गोदाम दर्शाया गया है, जिसमें रखी गई सामग्री का का मूल्यांकन 26 लाख रुपया किया गया, जिसमें से 10.40 लाख रुपये का मुआवजा पुष्पा सजवाण को मिल चुका है। ऊंचाई पर बसे गौरीकुण्ड में मौसम अक्सर ठण्डा रहता है, लिहाजा इस गोदान में 26 लाख की कोल्डडिंÑक थी या नहीं, इसे लेकर संशय है।
केस 3 - देवी प्रसाद गोस्वामी पुत्र शंकर प्रसाद गोस्वामी ‘संयुक्त व्यापार संघ’ के उपाध्यक्ष हैं। उनकी व उनके परिजनों (भाई, भतीजा इत्यादि) की गौरीकुण्ड में क्षतिग्रस्त हुई विभिन्न दुकानों की सम्पत्ति का जो आंकलन किया गया है वो इस प्रकार है –
1. देवी प्रसाद गोस्वामी – गोस्वामी इण्टर प्राइजेज, गौरीकुण्ड – क्षति 25 लाख रुपया।
2. देवी प्रसाद गोस्वामी – गोस्वामी वीडियो गौरीकुण्ड – क्षति 9 लाख।
3. पंकज गोस्वामी (पुत्र) – डेली नीड्स गौरकुण्ड – क्षति 2 लाख।
4. रामेश्वरी गोस्वामी (पत्नी) – गोस्वामी इण्टरप्राइजेज अगस्तमुनी – क्षति 10 लाख।
5. बेनी प्रसाद गोस्वामी (भतीजा) – गोस्वामी क्लाथ इंपोरियम – क्षति 8 लाख।
6. भूपेन्द्र गोस्वामी पुत्र बेनी प्रसाद – ग्लोबल मोबाइल सेंटर – क्षति 8 लाख।
इन सभी छ: मामलों में देवी प्रसाद गोस्वामी के परिजन अब तक 25.80 लाख का मुआवजा राशि ग्रहण कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से उनके कई प्रतिष्ठान पूर्ण रुप से क्षतिग्रस्त नहीं हुये हैं, ऐसे में उनके भीतर क्षतिग्रस्त दिखाये गये सामान को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
केस 4 - मोहम्मद इरफान पुत्र मोहम्मद यासीन निवासी देहरादून व मुस्ताक अहमद पुत्र मुस्बबर अली निवासी नजीबाबाद के गौरीकुण्ड में सब्जी के गोदाम दिखाये गये हैं, जिनमें दोनों को 10-10 लाख के सामग्री क्षतिग्रस्त होना बताया गया है। जबकि गौरीकुण्ड जैसे छोटे से कस्बे में एक ही गोदाम में 10 लाख कह सब्जी को डम्प किया जाना नामुमकिन है। हालांकि, इन्हें अभी तक 4-4 लाख का ही मुआवजा दिया गया है।
केस 5 - अंजली गिफ्ट सेंटर विजयनगर मालिक लक्ष्मण सिंह राणा और अंजली गिफ्ट हाउस विजयनगर मालिक एल.एस राणा। इन दोनों नामों से दो-दो लाख की क्षति दर्शायी गई है, जिसमें से 90-90 हजार रुपये दिये भी जा चुके हैं। जबकि, दोनों का मालिक एक ही है। दुकान और मालिक के नाम में हल्का बदलाव कर यह राशि हड़प ली गई है।
कठघरे में विधायक
मुआवजा के मूल्यांकन व वितरण में की गई धांधली में स्थानीय विधायक की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। 19 सितम्बर को गुप्तकाशी निवासी होटल व्यापारी ओमप्रकाश ने आत्महत्या कर ली थी। उसने अपने सोसाइड नोट में विधायक पर इस धांधली में शामिल होने का सीधा आरोप लगाया है। जबकि, एक अन्य होटल व्यवसायी देवेन्द्र सिंह राणा ने सीएम को शिकायती पत्र भेजकर विधायक पर धांधली में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि विधायक के इशारे में मूल्यांकन को घटाया बढ़ाया जा रहा है, जिसका कोई आधार नहीं है। हालांकि, विधायक शैला रानी रावत ने अपने ऊपर लगाये गये सभी आरोपों को निराधार बताया है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
सवाल यह है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने ऐसे व्यापारी संगठन जिसका आपदा से पहले कोई वजूद नहीं था, उसे कैसे आपदा में क्षतग्रस्त हुई सामग्री के मूल्यांकन का जिम्मा सौंप दिया। यदि सौंप भी दिया तो उसको क्रास चैक करने की जेहमत क्यों नहीं उठाई गई। और फिर मुआवजा बांटा गया तो दुकान व दुकान के स्वामी का मिलता जुलता नाम होने के बावजूद एक ही बैंक एकाउण्ट में दो-दो मुआवजा राशि क्यों जमा की गई।
भाजपा ने की सीबीआई जांच की मांग
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने केदारनाथ आपदा की राहत में घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने राहत राशि में हुई बंदरबांट की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले की जल्द उच्चस्तरीय जांच नहीं कराई तो भाजपा सड़कों पर उतरेगी और जरूरत पड़ी तो प्रदेश बंद भी करेगी। तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को प्रदेश पार्टी कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि आपदा के नाम पर मिली अरबों रुपये की राशि में बड़ा घोटाला हुआ है। गुप्तकाशी के एक व्यापारी ओम प्रकाश उनियाल की आत्महत्या ने राहत राशि की बंदरबांट की हकीकत को सामने ला दिया है। हैरानी है कि अपराधियों को सजा देने के बजाय सरकार के मंत्री कार्रवाई के बजाय लीपापोती के प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि 10 व 11 अक्टूबर को दिल्ली में पार्टी सांसदों और पदाधिकारियों की अहम बैठक होगी जिसमें आपदा राहत में हुई बंदरबांट के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी। पार्टी इस मसले को केंद्र सरकार से भी उठाएगी।

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