Sunday 21 September 2014

वजह बताओ, तब मिलेगी आरटीआई से जानकारी:मद्रास हाईकोर्ट, आरटीआई कानून-धारा 6(2):कहती है सूचना के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को इसके लिए कोई भी वजह बताने की जरूरत नहीं

वजह बताओ, तब मिलेगी आरटीआई से जानकारी:मद्रास हाईकोर्ट

आरटीआई कानून-धारा 6(2):कहती है सूचना के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को इसके लिए कोई भी वजह बताने की जरूरत नहीं 

वकील प्रशांत भूषण ने इस फैसले को गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि यह कानून की भावना और लेटर के खिलाफ है।

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मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा

मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले से देश में पारदर्शी शासन को एक गंभीर झटका लगा है। हाईकोर्ट का कहना है कि आरटीआई कार्यकर्ताओं को आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी हासिल करने के लिए वजह बतानी होगी।

इससे चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के खिलाफ दायर एक शिकायत संबंधी फाइल नोटिंग के खुलासे से हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को राहत मिली है।

जस्टिस एन पॉल वसंतकुमार और के रविचंद्रबाबू की डिवीजनल बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को जानकारी मांगने के उद्देश्य का खुलासा करना होगा और साथ ही संतुष्ट भी करना होगा कि उसकी वजह तर्कसंगत है।

यह एक ऐसा फैसला है, जो आरटीआई कानून के तहत सूचना हासिल करने के अधिकार पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। इसकी कानूनी विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने आलोचना की है।

सही व्यक्ति को दी जानी चाहिए सूचना


सही व्यक्ति को दी जानी चाहिए सूचना

बेंच ने कहा कि यदि सूचनाएं एक ऐसे व्यक्ति को दी जानी हैं, जिसके पास इन्हें मांगने के पीछे कोई उचित कारण या उद्देश्य नहीं है, तो हमारा मानना है कि सूचना मांगने के पीछे के उद्देश्य से अनजान व्यक्ति को ये सूचनाएं पंफलेट की तरह देने से कानून के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती।

हालांकि विधायिका ने जो आरटीआई कानून पारित किया था, उसमें विशेष रूप से धारा 6(2) शामिल की गई थी। यह धारा कहती है कि सूचना के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को इसके लिए कोई भी वजह बताने की जरूरत नहीं होगी।

मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश में सूचना के अधिकार कानून की धारा 6(2) का जिक्र नहीं है। प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने इस फैसले को गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि यह कानून की भावना और लेटर के खिलाफ है।

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