Friday 22 August 2014

इरोम शर्मिला फिर गिरफ्तार, जबरन उठा ले गई पुलिस

इरोम शर्मिला फिर गिरफ्तार, जबरन उठा ले गई पुलिस
नई दिल्ली, 22 अगस्त 2014 | अपडेटेड: 14:23 IST
टैग्स: इरोम शर्मिला| इरोम चानू शर्मिला| इंफाल पुलिस| आफस्पा| सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम
इरोम चानू शर्मिला
इरोम चानू शर्मिला
बुधवार को जेल से छूटने के बाद से आफस्पा (AFSPA) हटाने की मांग को लेकर अस्पताल के बाहर अनशन पर बैठीं सामाजिक कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला को पुलिस ने फिर गिरफ्तार कर लिया है. शर्मिला को उनके अस्थायी आश्रय स्थल से पुलिस जबरन उठा कर ले गई.मणिपुर के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) (खुफिया) संतोष माचेरला ने बताया, ‘हमने उन्हें आज सुबह ही फिर से गिरफ्तार किया है और हम उन्हें दिन बीतते आत्महत्या के प्रयास के मामले (भारतीय दंड संहिता की धारा 309) के तहत सीजेएम (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) के सामने पेश करेंगे.’
माचेरला ने बताया, ‘कोर्ट ने उन्हें पिछले मामले में रिहा किया था. अब वे दोबारा अन्न जल लेने से इंकार कर रही हैं और किसी भी चिकित्सकीय जांच से इंकार कर रही हैं. उनके स्वास्थ्य में गिरावट हो रही है और अब वे उन्हें जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के उसी वार्ड में रखा गया है जहां उन्हें पहले रखा गया था.’ उन्होंने बताया कि उनकी चिकित्सकीय जांच की जाएगी और एक बार फिर उन्हें नाक के जरिए जबरन भोजन दिया जाएगा.
सैंकड़ों महिलाओं और सामाजिक संगठनों का समर्थन रखने वाली शर्मिला बुधवार को ही जेएन सरकारी अस्पताल के अस्थायी जेल से छूट कर निकली थीं. वहां एक कमरे को उनके लिए जेल के रूप में तैयार किया गया था. इसके कुछ ही समय बाद उन्होंने अस्पताल के पास ही एक स्थान पर अपना अनशन शुरू कर दिया.
शर्मिला ने कहा, ‘मैं आफस्पा हटाने की मांग पूरी हो जाने तक अनशन जारी रखूंगी. सेशन कोर्ट का यह आदेश स्वागत योग्य है कि इस कानून को हटाने के लिए अनशन शुरू करके मैं आत्महत्या का प्रयास नहीं कर रही.’
गौरतलब है कि सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) के खिलाफ इरोम शर्मिला पिछले 14 साल से अनशन पर हैं.
मानवाधिकार कार्यकर्ता नवंबर 2000 से ही भूख हड़ताल पर है और उन्होंने रिहाई के तुरंत बाद भी एएफएसपीए को हटाने की उनकी मांग नहीं मांगे जाने तक अपना अनशन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई थी. उन्होंने कहा था, ‘जब तक मेरी मांगें नहीं मानी जाती मैं अपने मुंह से कुछ भी नहीं लूंगी. यह मेरा अधिकार है. यह मेरे संघर्ष का साधन है. एएफएसपीए दमनकारी है. इसके कारण विधवाओं की संख्या बढ़ गयी है.’
इरोम ने कहा था कि उनका आंदोलन न्याय के लिए है और इसमें उन्होंने लोगों से सहयोग मांगा. शर्मिला ने कहा, ‘मैं चाहती हूं कि लोग मेरा गुणगान नहीं करें बल्कि व्यापक जन समर्थन दें. असली जीत मेरी मांगों के पूरा होने में है. पिछले 14 सालों में, मैंने काफी पीड़ा झेली है.’

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