Sunday 6 April 2014

READ BJP,CONGRESS,SP Manifesto(घोषणा पत्र) 2014_Highlights:भाजपा का घोषणा पत्रःमहंगाई पर काबू पाने के लिए विशेष फ़ंड :::: कांग्रेस का घोषणा पत्रःकांग्रेस का 'सबको घर, सबको सेहत' का वादा :::: सपा घोषणापत्रः सवर्णों और मुसलमानों को लुभाने की कोशिश :::: अव्यवहारिक वायदे



भाजपा का घोषणा पत्रः महंगाई पर काबू पाने के लिए विशेष फ़ंड 

कांग्रेस का घोषणा पत्रः कांग्रेस का 'सबको घर, सबको सेहत' का वादा 

सपा घोषणापत्रः सवर्णों और मुसलमानों को लुभाने की कोशिश

 

भाजपा का घोषणा पत्रःमहंगाई पर काबू पाने के लिए विशेष फ़ंड

 सोमवार, 7 अप्रैल, 2014 को 11:04 IST तक के समाचार

मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है, इसमें समाज के हर तबके और क्षेत्र के लिए वादे किए गए हैं.
दिल्ली में भाजपा के दफ़्तर में घोषणापत्र तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि आज देश महंगाई और भ्रष्टाचार से परेशान हैं. इसलिए भाजपा ने ई गवर्नेंस और पारदर्शी नीतियों की समर्थक है. सरकार बनने पर ई गवर्नेंस और समाज के सभी वर्गों को ध्यान में रखकर नीतियां तैयार की जाएंगी.
घोषणापत्र जारी होने के बाद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा, "दो मूल बातों को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं. एक गुड गवर्नेंस और दूसरा डेवलपमेंट."
  • प्रमुख वादे

  • राम मंदिर की संभावनाओं पर संविधान के दायरे में विचार
  • समान नागरिक संहिता बनाने पर काम करना
  • धारा 370 हटाने के लिए सभी संबंधित पक्षों से बात करना
  • महंगाई पर काबू पाने के लिए विशेष फ़ंड
  • कालाबाज़ारी रोकने के लिए विशेष अदालतें
  • राष्ट्रीय कृषि बाज़ार बनाने का वादा
  • रोज़गार के लिए कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, चमड़ा बाज़ार को विकसित करना और कृषि से संबंधित उद्योगों को मज़बूत करना
  • भ्रष्टाचार पर ईगवर्नेंस के ज़रिए काबू पाना, गुजरात सरकार की ई ग्राम-विश्व ग्राम योजना पूरे देश में लागू करना
  • टैक्स व्यवस्था को आसान बनाना
  • विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए टास्क फ़ोर्स बनाना
  • निर्णय बनाने में राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी शामिल करना
  • पूरे सम्मान के साथ कश्मीरी पंडितों के घर वापसी सुनिश्चित करना
  • महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर राज्य में विशेष महिला पुलिस बल बनाना.
  • आज़ादी के 75 साल पूरे होने तक हर परिवार के पास पक्का घर
  • जीएसटी पर सभी राज्यों को सहमत करना
  • बुलेट ट्रेन नेटवर्क तैयार करना
  • किसानों के लिए विशेष रेल नेटवर्क
  • हर राज्य में एम्स जैसा संस्थान बनाना

कांग्रेस का घोषणा पत्रःकांग्रेस का 'सबको घर, सबको सेहत' का वादा

 बुधवार, 26 मार्च, 2014 को 19:04 IST तक के समाचार

कांग्रेस पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र
कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को लोकसभा चुनावों के लिए अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी किया.
इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की संकीर्ण और सांप्रदायिक सोच में सभी के लिए समान जगह नहीं है, जबकि कांग्रेस पार्टी का मक़सद सबको साथ लेकर चलना है.
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के पिछले 10 साल आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहे हैं.
'आपकी आवाज़, हमारी शपथ' नाम से जारी इस घोषणा पत्र में कांग्रेस पार्टी ने वादा किया है कि इस बार सत्ता में आने पर वो सभी को स्वास्थ्य और सभी को घर का अधिकार देगी.

कांग्रेस के घोषणा पत्र की मुख्य बातें:

सेहत का अधिकार स्वास्थ्य क्षेत्र में ख़र्च को बढ़ाकर जीडीपी का तीन प्रतिशत किया जाएगा
घर का अधिकार इंदिरा आवास योजना और राजीव आवास योजना के दायरे में सभी शहरी और ग्रामीण ग़रीबों को शामिल किया जाएगा.
अन्य अधिकार पेंशन का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, सम्मान का अधिकार और उद्यमिता का अधिकार
विकास दर अगले तीन सालों के दौरान भारत की विकास दर को बढ़ाकर आठ प्रतिशत के स्तर पर लाया जाएगा.
खुली अर्थव्यवस्था एक खुली और प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाएगा
विनिर्माण विनिर्माण क्षेत्र में दस प्रतिशत की विकास दर हासिल करने का लक्ष्य, छोटे और मझोले उद्योगों पर ज़ोर
कृषि सिंचाई, बेहतर आपूर्ति श्रृंखला, कोल्ड स्टोर और वेयरहाउस में निवेश बढ़ाया जाएगा.
कर व्यवस्था वस्तु और सेवा कर विधेयक और नया प्रत्यक्ष कर कोड विधेयक को संसद में लाया जाएगा.
बुनियादी ढांचा अगले एक दशक के दौरान बिजली, परिवहन और दूसरी बुनियादी सुविधाओं के विकास में 1000 अरब डालर का निवेश किया जाएगा.
श्रम नीति अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अधिक लचीली श्रम नीति को बढ़ावा दिया जाएगा.
एफडीआई वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ाव बढ़ाने के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा.
इंटरनेट 18 महीनों के भीतर सभी ग्राम पंचायतों और कस्बों को हाई स्पीड ब्राडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ा जाएगा.
काला धन काले धन को वापस लाने के लिए विशेष दूत की नियुक्ति की जाएगी.
रोजगार अगले पांच सालों के दौरान दस करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार दिया जाएगा.
बैंक खाता अगले पांच वर्षों के दौरान प्रत्येक देशवासी के पास बैंक खाता होगा.
अल्पसंख्यक सांप्रदायिक हिंसा विधेयक को जल्द से जल्द पास कराया जाएगा.
महिला महिला आरक्षण विधेयक को पास किया जाएगा. स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को सस्ता क़र्ज़
रक्षा नीति रक्षा क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा.
पूर्व सैनिक पूर्व सैनिकों के लिए एक 'राष्ट्रीय पूर्व सैनिक आयोग' का गठन किया जाएगा
विदेश नीति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए समर्थन जुटाया जाएगा
आतंकवाद ख़ुफ़िया सूचनाओं के लेनदेन और मनी लाड्रिंग पर रोक के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर


सपा घोषणापत्रः सवर्णों और मुसलमानों को लुभाने की कोशिश

 गुरुवार, 3 अप्रैल, 2014 को 08:05 IST तक के समाचार

समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी के घोषणापत्र में देश में राजमार्गों को विकसित करने का कोई वादा नहीं किया गया है. संभवतः ऐसा इसलिए है क्योंकि जौनपुर से वाराणसी, बरेली से बदायूं ही नहीं, लखनऊ की भी कई सड़कों का हाल ऐसा है मानों सड़क बनी ही नहीं.
और ऐसा हाल तब है जब पड़ोसी देश चीन राजमार्गों के निर्माण के मामले में भारत से मीलों आगे है.
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और महासचिव रामगोपाल यादव द्वारा लखनऊ में जारी किए गए घोषणापत्र में राजनीतिक फ़ायदे के लिए किए गए वादों, जैसे सवर्णों के लिए आरक्षण, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है.
सवर्णों के क्लिक करें आरक्षण के संदर्भ में समाजवादी पार्टी का घोषणापत्र एक आयोग के गठन की बात करते हुए कहता है, "देश में पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग तथा महिला आयोग कार्यरत हैं."
घोषणापत्र के मुताबिक़, "देश में आज भी ऊंची जातियों में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो ग़रीब हैं, पीड़ित हैं, शोषित हैं. हमारी सरकार इनके हितों के संरक्षण के लिए एक सवर्ण आयोग का गठन करेगी जो अन्य आयोगों के तर्ज़ पर कार्य करेगा."
ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित करने का समाजवादी पार्टी का यह प्रयास मायावती के "सर्वधर्म समाज" की एक भोंडी नक़ल है और उत्तर प्रदेश के वर्तमान जातीय समीकरण में अपने दल की स्थिति को मज़बूत करने का एक कमज़ोर प्रयास.

'मुसलमानों को रिहा करेगी'

मुलायम सिंह यादव
घोषणापत्र "मुसलमानों और आदिवासी" शीर्षक के अंतर्गत कहता है कि क्लिक करें समाजवादी पार्टी 'विशेष अवसर के सिद्धांत' में यक़ीन करती है. मुसलमानों को उनकी आबादी के अनुपात में नौकरियों में आरक्षण देने के लिए पार्टी ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर इसके लिए संविधान में आवश्यक संशोधन करेगी.
असलियत तो यह है कि समाजवादी पार्टी के इस वादे को अमली जामा पहनाने की हाल में की गई कोशिशें नाकाम रही हैं और जाट आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया भी यही इशारा करती है कि यह वादा पूरा करना मुश्किल होगा.
समाजवादी पार्टी मुसलमानों के साथ विधानसभा चुनाव में किए गए एक वादों में से आज तक एक को भी पूरा नहीं कर पाई है. फिर भी 2014 का घोषणापत्र कहता है कि, "आतंकवाद के झूठे आरोपों में जेलों में बंद बेक़सूर मुसलमानों को रिहा कराने का काम करेगी."
पार्टी ने साथ ही कहा, "समाजवादी पार्टी धर्म एवं जाति के आधार पर जनता के ध्रुवीकरण को देश की एकता और लोकतंत्र के लिए ख़तरा मानती है. इसलिए राजनीति, शिक्षा एवं प्रशासन में इनके इस्तेमाल की घोर विरोधी है."
पार्टी ने साल 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने का भी वादा किया है.

कम्प्यूटर और लैपटॉप

पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने वादा किया था कि प्रदेश में सरकार बनने पर उन सभी व्यक्तियों की वो संपत्ति ज़ब्त कर ली जाएगी जो उनकी आय से अधिक होगी. साल 2012 में बनी अखिलेश सरकार को दो वर्ष से अधिक हो गए हैं लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है.
साल 2009 के घोषणापत्र में आतंकवाद ख़त्म करने के लिए समाजवादी पार्टी ने क्लिक करें पाकिस्तान और बांग्लादेश से संबंध सुधारने की बात कही थी. लेकिन 2014 का घोषणापत्र केवल चीन की बात करता है और कहता है, "समाजवादी पार्टी की सरकार पड़ोसी देशों से अपने रिश्ते सुधारने का काम करेगी."
हाँ, पांच साल पहले और आज के घोषणापत्र में एक समानता अवश्य है. दोनों में ही पार्टी ने वायदा कारोबार (फ़ॉरवर्ड ट्रेडिंग) को अनुमति नहीं देने का वादा किया है.
महंगाई को रोकने के लिए पार्टी ने "दाम बांधो नीति" पर अमल करने का वायदा किया है और कहा है कि "कारख़ाने में बनी चीज़ लागत से डेढ़ गुने से ज़्यादा दाम पर नहीं बिक सकेगी."
प्रदेश में छात्रों को कम्प्यूटर और लैपटॉप बांटने के बाद, समाजवादी पार्टी ने इस बार इस विषय में ख़ामोश रहना ही उचित समझा है.


'ग़ैर-हिंदुत्व और हिंदुत्व' के बीच फंसी भाजपा


भाजपा का घोषणापत्र
आम चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है. घोषणापत्र से ज़ाहिर होता है कि जीत और सत्ता की चाह ने एक बार फिर पार्टी को ग़ैर-हिंदुत्व और हिंदुत्व के दो पाटन के बीच लटका दिया है.
पहले जीत और सत्ता की चाह में हो रहे हिंदुत्व के पाटन की बात करते हैं.
भाजपा की ओर से हमेशा ये संकेत रहे हैं कि उन्हें मुसलमानों के वोट की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उनका एजेंडा ही हिंदुत्व का है. ऐसे में उनकी राजनीति स्वत: मुस्लिम-विरोधी हो जाती है.
लेकिन घोषणापत्र में मुसलमानों को जीतने की भाजपा की पुरज़ोर कोशिश दिखाती है कि उन्हें मालूम है कि बग़ैर मुसलमानों के वोट के भाजपा अकेले दम पर लोकसभा में बहुमत नहीं पा सकती है.

मुस्लिम हितैषी?

भाजपा का घोषणपत्र कहता है भाजपा सरकार देश भर के मदरसों में विज्ञान और गणित की पढ़ाई शुरू करवाएगी.
ध्यान देने की बात है कि घोषणापत्र समिति के मुखिया मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि मुसलमानों को शिक्षा और उद्योग में उचित मौक़ा मिलना चाहिए.
अगर भाजपा वाक़ई संजीदा है तो ये वादे अहम हैं. ये दिखाते हैं कि पिछले बीस सालों में अगड़ों, पिछड़ों, सिखों और दलितों की राजनीति करने के बाद भाजपा मुस्लिम हितैषी बन कर भारतीय राजनीति में कांग्रेस पार्टी की उत्तराधिकारी बनना चाहती है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि इस घोषणापत्र को पढ़ते ही मुसलमानों का दिल पिघल जाएगा और वो झट से भाजपा को वोट दे देंगे.

अनुच्छेद 370

भारत में आम चुनाव 2014
हिंदुत्व के पाटन की मजबूरी में एक बार फिर भाजपा ने अयोध्या में रामजन्मभूमि के विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण कराने का वादा कर दिया है. और शायद ही कोई भारतीय मुसलमान बाबरी मस्जिद की ज़मीन से अपने वजूद को अलग कर सकता है.
युवा मतदाताओं ने रामजन्मभूमि की कहानी भले ही सुन रखी हो, संविधान के अनुच्छेद 370 और यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के बारे में उनको शायद ही मालूम होगा. यह सब जानते हुए भी कि आज के वोटर इन मुद्दों से प्रभावित नहीं होंगे.
भाजपा ने मजबूरन इन मुद्दों को अपने घोषणापत्र में शामिल किया है क्योंकि ऐसा नहीं करने से उस पर हिंदू मुद्दों का तिरस्कार करने का आरोप आ जाता.
अनुच्छेद 370 मुस्लिम बाहुल्य जम्मू-कश्मीर को देश के बाक़ी राज्यों के मुकाबले विशेष दर्ज़ा देता है जो हिंदुत्व को क़ुबूल नहीं है.

वाईफ़ाई इंटरनेट

मुरली मनोहर जोशी
यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड मुसलमानों को शादी, तलाक़ और उत्तराधिकार जैसे निजी मामले में क़ुरान की रीति पर चलने की मिली आज़ादी को ख़त्म करने की बात करता है.
दोनों मुद्दे भाजपा को मुसलमानों से दूर रखते रहे हैं और रखते रहेंगे.
यूँ तो घोषणापत्र में हर क़िस्म के वादे हैं, उसका अधिक ज़ोर शहरों पर है जहाँ भाजपा को जीत की ज़्यादा उम्मीद रहती है.
भाजपा का दावा है कि वो शहरी इलाक़ों में सार्वजनिक वाईफ़ाई इंटरनेट का प्रावधान करेगी और उच्च शिक्षा को बढ़ावा देगी. लेकिन घोषणापत्र ये नहीं बताता कि उच्च शिक्षा के बढ़ावे के लिए पार्टी कौन से ठोस क़दम उठाएगी.

जीडीपी का छह फ़ीसद

बाबरी मस्जिद
भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि घोषणापत्र में किए गए ये वादे युवा वोटरों को आकर्षित करेंगे.
भाजपा की पिछली सरकार ने विदेश में पढ़ाई के लिए आसान किश्तों पर छात्र-छात्राओं को सरकारी बैंकों से ऋण दिलाया जिसके कारण पढ़े-लिखे युवा वर्ग ने उनका साथ दिया था.
इन सबके बावजूद 2004 के आमचुनाव में भाजपा की तत्कालीन सरकार युवाओं का ज़्यादा वोट नहीं खींच पाई थी.
कई वादे ऐसे हैं जिन पर अमल करना अगर असम्भव नहीं तो बेहद मुश्किल होगा.
भाजपा का वादा है कि वह शिक्षा पर सरकारी ख़र्च को बढ़ाकर जीडीपी का छह फ़ीसद कर देगी. यानि आज शिक्षा पर जितना ख़र्च होता है लगभग उसका दोगुना.
लेकिन घोषणापत्र ये नहीं बताता है कि इस ख़र्च के लिए भाजपा की सरकार 6.5 लाख करोड़ रुपए आख़िर कहाँ से लाएगी.

अव्यवहारिक वायदे

भाजपा का घोषणापत्र
उदारवादी आर्थिक नीति की पक्षधर भाजपा, ख़ासतौर से उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, हर व्यवस्था के निजीकरण की हिमा़यत करते हैं. उनका ये वादा उनकी आर्थिक सोच का अंतर्विरोध दिखाता है.
इसी तरह मौलिक सुधार के अधिकतर वादों पर अमल मुश्किल होगा.
न्यायालयों की संख्या दोगुनी कर देने का वादा अव्यवहारिक है. न केवल इसके लिए रक़म जुगाड़ना मुश्किल होगा, बल्कि इसका भी भरोसा नहीं कि जजों की संख्या दोगुने हो जाने से मुक़दमों में भी वृद्धि नहीं होगी.
ऐसा ही एक वादा उद्योग से जुड़े लोगों, शिक्षाविदों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को नौकरशाही में सम्मिलित करने से जुड़ा हुआ है. यहां भी सवाल उठता है कि क्या अफ़सर कभी भी ग़ैर-बाबुओं को अपने बीच आसानी से जगह देंगे?

रोजगार और निवेश

नरेंद्र मोदी
इसी तरह भाजपा के घोषणापत्र में औद्योगिक विनिर्माण में तेज़ी लाने के और कृषि विकास के तमाम वादे सतही हैं.
ये कहना आसान है कि रोज़गार-प्रधान उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा. लेकिन उद्योग लगाने के लिए बाज़ार का होना भी आवश्यक है जहां निर्मित माल बेचा जा सके.
पिछले छह सालों की आर्थिक मंदी के चलते यूरोप और अमरीका के विकसित देशों के बाज़ार ठंडे पड़े हैं. इस वजह से चीन, पूर्वोत्तर एशिया और दक्षिण अमेरिका के निर्माण-प्रधान मुल्कों के उद्योगों में काट-छाँट का दौर जारी रहा है.
ऐसे में व्यापक स्तर पर भारत में ताज़ा राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय निवेश होना कम ही सम्भव दिखता है.
कालाबाज़ारी से निपटने के लिए भाजपा कहती है कि वो एक मूल्य स्थिरीकरण कोष स्थापित करेगी. और गोदाम में माल छिपा कर रखने वालों पर मुक़दमे चलाने के लिए विशेष अदालतें बनाएगी. आख़िर इस ख़र्च के लिए उगाही कहाँ से होगी?
भाजपा कहती है कि वो कृषि में पारंपरिक रोज़गार के रास्ते मज़बूत करेगी. साथ ही वो कृषि में तकनीकी सुधार की भी बात करती है.

चुनावी ख़र्च

भाजपा रैली
दरअसल पार्टी की सोच क्या है ये तभी पता चलेगा जब वो अपनी कृषि नीति की विस्तृत जानकारी देगी.
घोषणापत्र कहता है कि भाजपा सरकार हर नागरिक को पक्का घर मुहैया कराएगी और सस्ते घरों की स्कीम निकालेगी. लेकिन वह ये नहीं बताती ये सब कैसे होगा.
भारत में हर छठा नागरिक झुग्गी-झोंपड़ी में रहता है. शहरों में 100 में एक इंसान बेघर है.
भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए भाजपा के वादे ठोस नहीं हैं. आश्चर्य है कि जहाँ आम आदमी पार्टी ने जनलोकपाल का नारा देकर दे सवाल से एजेंडा तय किया हुआ है वहाँ भाजपा सिर्फ़ ई-गवरनेंस की बात कर रही है.
भाजपा का सबसे रोचक सुझाव है कि वह लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ करवाएगी. ऐसा हो जाने से चुनावी ख़र्च बहुत कम हो जाएगा. लेकिन क्या ये संसदीय प्रणाली के आधार को ही नहीं ख़त्म कर देगा?


कांग्रेस के घोषणापत्र से शायद ही हो फ़ायदा..

अगर घोषणापत्र चुनावों में जीत की कुंजी होते तो कांग्रेस के घोषणापत्र में जो वायदे किए गए हैं वे ज़रूर इस पुरानी पार्टी को लोकसभा चुनाव में कुछ हद तक फ़ायदा दिलाते लेकिन इससे अपेक्षित परिणाम मिलेंगे, इस पर भारी संदेह है.
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में दो तिहाई आबादी- जो कुशल श्रमिक भारत का निर्माण करते हैं- को मध्य वर्ग में लाने का वायदा किया है.
पार्टी का कहना है कि वह यह काम स्वास्थ्य, पेंशन, घर, सामाजिक सुरक्षा, सम्मान और काम करने की मानवीय परिस्थितियां प्रदान कर और उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर करेगी.

यह यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान लोगों को अधिकार देने के लिए पारित कराए गए विधेयकों के ही दृष्टिकोण पर आधारित होगा.
घोषणापत्र आर्थिक विकास को तीन सालों में आठ से ज़्यादा रखने और फिर छोटे और मध्यम उद्यमों को विशेष प्रोत्साहन देकर विनिर्माण उद्योग में 10 फ़ीसदी की वृद्धि लाने का वायदा, विश्वास जगाता है.

मध्य वर्ग शायद ही प्रभावित हो

घोषणापत्र यूपीए सरकार का रिपोर्ट कार्ड तो पेश करता ही है, यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलाव के लिए एक 15-बिंदुओं का एजेंडा भी सामने रखता है.
कांग्रेस घोषणापत्र
कांग्रेस ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सकारात्मक प्रयासों पर एक राष्ट्रीय सहमति बनाने के अपने वायदे को निजी क्षेत्र तक ले जाने की बात को दोहराया है.
इसके अलावा घोषणापत्र में अनुसूचित जाति और जनजातियों में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए आसान कर्ज़ और टैक्स छूट जैसे वायदे भी हैं.

घोषणापत्र में कौशल विकास को रफ़्तार देने और कमज़ोर वर्गों के लिए हर ब्लॉक में उच्च स्तर के नवोदय विद्यालय जैसे स्कूल खोलने का भी वायदा है.
कांग्रेस ने शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की योजनाओं में आबादी के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को शामिल करने की बात कर आरक्षण पर बहस को विस्तार देने की कोशिश की है.

आरक्षण नीति

लेकिन पार्टी ने आरक्षण के मौजूदा ढांचे को छेड़ने से इनकार किया है क्योंकि घोषणापत्र में साफ़ कहा गया है कि इससे उन लोगों पर असर नहीं पड़ेगा जिन्हें आरक्षण नीति का फ़ायदा मिल रहा है.
48 पेज का यह घोषणापत्र बेहद मेहनत और उत्साह से तैयार किया गया है लेकिन यह लोगों का ध्यान खींचने में नाकाम है क्योंकि यह बड़े वायदों का पुलिंदा तो हैं लेकिन ज़्यादा रुचि जगाने में नाकाम रहता है क्योंकि कांग्रेस को जीतने वाली पार्टी नहीं माना जा रहा है.

यह दस्तावेज़ 128 साल पुरानी पार्टी का सबको मिलाकर चलने वाले लोकतंत्र और उदारवादी राष्ट्रवाद को दोहराता है और बीजेपी पर संकीर्ण मानसिकता, सांप्रदायिकता और विघटनकारी अधिनायकवाद का आरोप लगाता है. इससे दोनों पार्टियों से बीच तल्ख़ शब्दों का आदान-प्रदान तय हो गया है.
फाइल फोटो
हर किसी को कुछ न कुछ देने का वायदा करने वाले घोषणापत्र की कोई एक ख़ास बात नहीं रह जाती और इससे बहुत ज्ञानी लोग तो समझ सकते हैं लेकिन बेहद शंकालु मध्य वर्ग शायद ही समझे जिससे कांग्रेस को दरअसल मतलब है.

सरकार विरोधी भावना

युवाओं, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों, जनजातियों, रक्षा क्षेत्र और पूर्व सैनिकों के बीच घूमते-घूमते यह विस्तृत दस्तावेज़ अपनी पहचान ही खो देता है. यूपीए सरकार के प्रति पिछले 10 साल की सरकार विरोधी भावना के बावजूद कांग्रेस इसके माध्यम से लोगों का विश्वास जीत पाएगा ऐसा नहीं लगता.
इसके बहुत से कसमें, वायदे, प्रतिज्ञाएं यूपीए के शासन के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए खोखले नज़र आते हैं जो भ्रष्टाचार, घोटालों से भरा रहा है.

सिद्धांतरूप से घोषणापत्र राजनीतिक दलों के चुनावी भाग्य में ज़्यादा बड़ी भूमिका नहीं निभाते इसकी कमियां अच्छाइयों के मुक़ाबले ज़्यादा बड़ी भूमिका निभाती हैं.
सही वक़्त में इसी घोषणापत्र से कांग्रेस को चुनाव में ज़्यादा फ़ायदा मिलता 2014 के चुनावों के बजाय.

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