Thursday 20 March 2014

ख़ुशवंत सिंह का 99 साल की उम्र में निधन :::: "ख़ुशवंत सिंह को 'हिस्ट्री ऑफ़ सिख' नाम से सिखों का इतिहास लिखने के लिए याद किया जाएगा. ::AND:: भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर आधारित उपन्यास ''ट्रेन टू पाकिस्तान' का इतिहास लिखने के लिए याद किया जाएगा==== And पुण्य प्रसून बाजपेयी के पिता मणिकांत बाजपेयी का निधन

ख़ुशवंत सिंह का 99 साल की उम्र में निधन

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पुण्य प्रसून बाजपेयी के पिता मणिकांत बाजपेयी का निधन

 ख़ुशवंत सिंह का 99 साल की उम्र में निधन 

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 "ख़ुशवंत सिंह को  'हिस्ट्री ऑफ़ सिख' नाम से सिखों का इतिहास लिखने के लिए याद किया जाएगा. 

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भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर आधारित उपन्यास ''ट्रेन टू पाकिस्तान' का इतिहास लिखने के लिए याद किया जाएगा

 गुरुवार, 20 मार्च, 2014 को 17:25 IST तक के समाचार

ख़ुशवंत सिंह (फ़ाइल फ़ोटो)
ख़ुशवंत सिंह नहीं रहे
पदम विभूषण से सम्मानित जाने-माने पत्रकार, लेखक और स्तंभकार  ख़ुशवंत सिंह का गुरुवार सुबह उनके दिल्ली स्थित निवास पर निधन हो गया. वो 99 साल के थे.
उनकी मृत्यु पर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आधिकारिक ट्वीट में कहा गया, "वो एक प्रतिभाशाली लेखक, भरोसमंद टिप्पणीकार और प्यारे दोस्त थे. उन्होंने सचमुच एक सृजनात्मक जीवन जिया."
खुशवंत सिंह 'योजना', नेशनल हेराल्ड, हिन्दुस्तान टाइम्स और 'दि इलेस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया' के संपादक रहे.
ख़ुशवंत को सबसे पहली ख्याति भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर आधारित उपन्यास ''ट्रेन टू पाकिस्तान' से मिली.
उन्होंने 'हिस्ट्री ऑफ़ सिख' नाम से सिख धर्म का इतिहास भी लिखा जिसे काफ़ी सराहा गया.
उम्र के अंतिम पड़ाव तक वो लेखन में सक्रिय रहे. पिछले साल उनकी किताब 'खुशवंतनामा: द लेसन्स ऑफ़ माई लाइफ़' प्रकाशित हुई थी.

'साहस और बेवकूफी'

"ख़ुशवंत सिंह को व्हिस्की से अपने प्यार के लिए जाना जाता था लेकिन वो प्रकृति को उससे भी ज़्यादा प्यार करते थे. वो सलीम अली और एम कृष्णन को अपना हीरो मानते थे."
रामचंद्र गुहा, इतिहासकार
उनकी मृत्यु पर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपने ट्वीट में कहा, "ख़ुशवंत सिंह को सिखों का इतिहास लिखने के लिए याद किया जाएगा. वे बहुत उदार व्यक्ति थे. भिंडरावाले का विरोध उनका सबसे साहसिक काम था..उनका सबसे बेवकूफी भरा काम था संजय गांधी और मेनका गांधी का समर्थन करना."
गुहा ने आगे कहा, "हालांकि हम इसे भूल सकते हैं और उनकी किताबों, उनके अपनत्व और उदारता को याद कर सकते हैं. ख़ुशवंत सिंह को व्हिस्की से अपने प्यार के लिए जाना जाता था लेकिन वो प्रकृति को उससे भी ज़्यादा प्यार करते थे. वो सलीम अली और एम कृष्णन को अपना हीरो मानते थे."
लेखक अमिताव घोष ने ट्वीट करके उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा, "महान इतिहासकार, उपन्यासकार, संपादक, स्तम्भकार और एक शानदार, उदार भले आदमी ख़ुशवंत सिंह की मौत बहुत दुखदायक ख़बर है. श्रद्धांजलि."
हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर अभिनेता शाहरुख़ ख़ान ने अपने संदेश में कहा, "अफ़सोस, ख़ुशवंत सिंह नहीं रहे. उन्होंने अपने साहित्यिक योगदान से हम सबका जीवन समृद्ध किया. 'विद मैलिस टुवर्डस वन एंड ऑल', श्रद्धांजलि"
वे विभिन्न अख़बारों में नियमित स्तम्भ भी लिखते रहे थे.
वे 1980 से 1986 तक राज्य सभा के सदस्य थे. भारत सरकार ने उन्हें 1974 में पदम भूषण से सम्मानित किया था.
लेकिन 1984 में स्वर्ण मंदिर में हुए सेना के ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने पदम भूषण वापस कर दिया था. 2007 में उन्हें पदम विभूषण से नवाज़ा गया.


पुण्य प्रसून बाजपेयी के पिता मणिकांत बाजपेयी का निधन
date: March 20, 2014

शोक संदेश : वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार ‘पुण्य प्रसून बाजपेयी’ के पिता ‘मणिकांत बाजपेयी’ का दो दिन पहले निधन हो गया है. 18 मार्च शाम 5.30 बजे उनका निधन हुआ. वे अल्झाइमर रोग से पीड़ित थे और उनका इलाज कई वर्षों से चल रहा था. लोदी रोड स्थित शवदाह गृह में उनका कल अंतिम संस्कार किया गया. अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में पत्रकारों के अलावा आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया भी शामिल हुए.

Punya Prasun Bajpai may gob gives you power to win on this pain of life...god bless you,,, reg : @bhupesh kumar mandal cloud news

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