Wednesday 25 December 2013

पाकिस्तान के साथ जारी रहेगा परमाणु सहयोग: चीन

पाकिस्तान के साथ जारी रहेगा परमाणु सहयोग: चीन

 बुधवार, 25 दिसंबर, 2013 को 17:04 IST तक के समाचार

पाकिस्तान के साथ परमाणु सहयोग के मसले पर चीन ने कहा है कि दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नज़दीकी सहयोग जारी रहेगा. साथ ही चीन ने यह भी जोड़ा है कि यह सहयोग "शांतिपूर्ण उद्देश्य" के लिए है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा है कि परमाणु ऊर्जा के मसले पर चीन और पाकिस्तान के बीच जारी सहयोग शांतिपूर्ण उद्देश्य और स्थानीय लोगों की भलाई के लिए है.
क्लिक करें पाकिस्तान के कराची शहर में बन रहे परमाणु बिजली संयंत्र को चीन की मदद के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच असैनिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कई वर्षों से सहयोग का रिश्ता है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने हुआ चुनयिंग के हवाले से बताया है, "यह सहयोग पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए है, अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप है और इसमें अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सुरक्षा उपायों का पूरा ख्याल रखा गया है."

शांतिपूर्ण उद्देश्य

पाकिस्तान परमाणु हथियार सम्पन्न देश है.
पीटीआई के मुताबिक पाकिस्तान के साथ क्लिक करें चीन का बढ़ता परमाणु व्यापार और सहयोग भारत के साथ ही पश्चिमी देशों की चिंता की प्रमुख वजह है, क्योंकि ऐसी आशंकाएं जताई जा रही हैं कि नए संयंत्र के चालू होने से पाकिस्तान के पुराने रिएक्टर हथियारों के लिए यूरेनियम तैयार कर सकते हैं.
लेकिन हुआ चुनयिंग का कहना है कि इस सहयोग से क्लिक करें पाकिस्तान में बिजली की किल्लत दूर करने में मदद मिलेगी और यह स्थानीय लोगों के हित में है. उन्होंने कहा कि चीन अपनी क्षमता के मुताबिक सहायता मुहैया कराता रहेगा.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री क्लिक करें नवाज शरीफ ने पिछले महीने करीब साढ़े नौ अरब डॉलर के इस संयंत्र के बारे में जानकारी दी थी लेकिन अधिकारियों ने इस बारे में थोड़ी ही जानकारी दी है कि वे इस योजना के लिए धन का इस्तेमाल कैसे करेंगे.

चीन से आर्थिक मदद

समाचार एजेंसी रॉयटर्स को मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि चीन की राष्ट्रीय परमाणु सहयोग संस्था (सीएनएनसी) ने इस परियोजना में मदद के लिए कम से कम साढ़े छह अरब डॉलर बतौर कर्ज देने का वादा किया है.
इस परियोजना के तहत दो रिएक्टर होंगे, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1,100 मेगावाट होगी.
रॉयटर्स के मुताबिक सरकार की ऊर्जा टीम में शामिल दो सदस्यों और इस सौदे के साथ करीब से जुड़े तीन सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है. हालांकि इस बारे में सीएनएनसी की टिप्पणी नहीं मिल सकी.
पाकिस्तानी परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष अंसार परवेज़ ने रॉयटर्स को बताया, "एक परमाणु बिजली संयंत्र का संचालन करने की पाकिस्तान की क्षमता पर चीन को पूरा भरोसा है."
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में परमाणु बिजली संयंत्रों का प्रदर्शन और क्षमता गैर-परमाणु संयंत्रों के मुकाबले काफी बेहतर रहा है."

सहयोग पर सवाल

परवेज़ ने हालांकि आर्थिक मदद का अधिक ब्यौरा देने से मना कर दिया लेकिन इतना कहा कि यह संयंत्र 2019 में तैयार होगा और इसके तहत बनने वाले प्रत्येक रिएक्टर की क्षमता पाकिस्तान की कुल स्थापित परमाणु बिजली क्षमता से अधिक होगी.
पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान ने 2004 में यह स्वीकार किया कि उन्होंने उत्तर कोरिया, ईरान और इराक को परमाणु तकनीक दी.
रॉयटर्स ने बताया है कि समझौते के मुताबिक चीन ने इस ऋण पर बीमा प्रीमियम के तौर पर ढाई लाख डॉलर माफ कर दिए हैं.
पाकिस्तान और चीन दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं और उनके बीच बढ़ते सहयोग से भारत की चिंताएं बढ़नी स्वभाविक है.
इससे पहले 2008 में अमरीका ने परमाणु आपूर्ति के लिएक्लिक करें भारत के साथ समझौता किया था, जिस पर पाकिस्तान और चीन ने चिंता जताई थी.
पाकिस्तान भी अमरीका के साथ ऐसा ही समझौता करना चाहता था लेकिन अमरीका इसके लिए तैयार नहीं हुआ. इसकी बड़ी वजह यह रही क्योंकि पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान ने 2004 में यह स्वीकार किया था कि उन्होंने उत्तर कोरिया, ईरान और इराक को परमाणु तकनीक दी.

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