Monday 4 November 2013

सऊदी अरब में अवैध अप्रवासी कामगारों की धरपकड़ :(

सऊदी अरब में अवैध अप्रवासी कामगारों की धरपकड़ :(

 मंगलवार, 5 नवंबर, 2013 को 05:54 IST तक के समाचार

सऊदी अप्रवासी मज़दूर
सऊदी अरब में रोजगार के क्लिक करें नए नियम लागू होने के बाद लागू की गई आम माफ़ी की अवधि समाप्त हो जाने के बाद प्रशासन अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी कामगारों की धरपकड़ कर रहा है.
पिछले तीन महीनों में करीब दस लाख बांग्लादेशी, क्लिक करें भारतीय, नेपाली, पाकिस्तानी, यमनी और अन्य देशों से आए अप्रवासी सऊदी अरब छोड़कर जा चुके हैं.
रविवार को समय सीमा समाप्त होने से पहले करीब चालीस लाख कामगारों ने सऊदी अरब में काम करने का परमिट हासिल किया.
इंडोनेशिया के अधिकारियों के मुताबिक करीब चार हज़ार इंडोनेशियाई नागरिक जेद्दा में हिरासत में रखे गए हैं. ये लोग प्रत्यर्पण का इंतज़ार कर रहे हैं.
ये लोग एक अपना सारा सामान लेकर एक फ्लाईओवर के नीचे इकट्ठा हो गए और खुद को प्रशासन के हवाले कर दिया.

आधी कामगार आबादी

एक अनुमान के मुताबिक सऊदी अरब में करीब 90 लाख अप्रवासी कामगार रहते हैं. ये सऊदी अरब में कार्यरत कुल लोगों की आधी संख्या के बराबर हैं. अप्रवासी कामगार सऊदी अरब के दफ़्तरों और उद्योगों में कार्यरत हैं तथा मज़दूरी भी करते हैं.
अरब देशों में सऊदी अरब सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन सऊदी नागरिकों में बेरोजगारी की दर 12 प्रतिशत है और प्रशासन अब इसे कम करने की कोशिशें कर रहा है.
सरकार ने पहले कहा था कि यदि कोई अवैध प्रवासी पकड़ा जाता है तो उसे क़ैद, जुर्माना हो सकता है या उसे वापस भी भेजा जा सकता है.
"मुझे कर्ज़ चुकाने के लिए अपनी कार और घर बेचना पड़ा. सबकुछ इतनी जल्दी हुआ है कि मैं इस बदलाव के लिए तैयार भी नहीं था, कभी-कभी मुझे आत्महत्या का भी ख्याल आता है."
सऊदी अरब से भारत लौटे स्वामीनाथन
हुकूमत ने कहा है कि क़ानून का उलंघन करने वाली कंपनियों पर भी जुर्माना लगाया जाएगा.
सऊदी अरब के उपश्रम मंत्री मिफ़रिज़ अल हक़बानी ने बीबीसी अरबी रेडियो के कार्यक्रम में कहा, "श्रम मंत्रालय ने उन कंपनियों की पहचान कर ली है जो श्रम क़ानूनों का उल्लंघन कर रही हैं. ये वे कंपनियां हैं जिनके कामगारों के पास कराम करने का परमिट नहीं है और वो बिना परमिट के लोगों को काम दे रही हैं. हम कंपनियों में जाकर कामगारों के दस्तावेज़ों का निरीक्षण करते हैं."

भारत पर असर

नए श्रम क़ानूनों का भारत के अप्रवासी कामगारों पर व्यापक असर पड़ रहा है. सऊदी अरब में बीस लाख से अधिक अप्रवासी भारतीय काम करते हैं. इनमें से करीब एक लाख लोग अवैध रूप से सऊदी अरब में थे.
सऊदी अरब में भारत के दूतावास के मुताबिक रविवार को समयसीमा समाप्त होने से पहले अवैध रूप से रह रहे 95 प्रतिशत भारतीय प्रवासी वापस लौट चुके हैं.
इंडोनेशियाई अप्रवासी कामगार
इंडोनेशिया के अप्रवासी कामगरों ने खुद को प्रशासन के हवाले कर दिया.
भारतीय दूतावास ने दम्माम के तहरील में नागरिकों की मदद के लिए हेल्पलाइन भी शुरू की है. दूतावास के मुताबिक अब तक दस लाख से ज़्यादा अप्रवासी भारतीय सऊदी में रहने के लिए दी गई रियायतों का फ़ायदा उठाकर अपने दस्तावेज़ ठीक करवा चुके हैं.
सऊदी अरब से भारत लौटने वालों में एक स्वामीनाथन ने कहा, "मुझे कर्ज़ चुकाने के लिए अपनी कार और घर बेचना पड़ा. सबकुछ इतनी जल्दी हुआ है कि मैं इस बदलाव के लिए तैयार भी नहीं था, कभी-कभी मुझे आत्महत्या का भी ख्याल आता है."
अप्रवासी कामगारों की वापसी का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. विदेशों में रह रहे भारतीयों ने पिछले साल करीब 70 अरब डॉलर भारत भेजे थे.

शोषण

मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी अरब की श्रम प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा है कि यहाँ कामगारों का शोषण किया जाता है.
ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, "सऊदी अरब में लागू कफ़ाला प्रणाली के तहत कामगार ज़मानत देने वाली कंपनी यानी जो उसे लेकर जाता है उसके साथ बंध जाता है. कामगार को नौकरी बदलने या देश छोड़कर जाने के लिए उसकी अनुमति की ज़रूरत होती है. जिसका स्पॉनसर ग़लत इस्तेमाल करते हैं और कामगार के पासपोर्ट और वीज़ा को अपने पास जब्त कर लेते हैं. अप्रवासियों से जबरदस्ती काम करवाया जाता है और उनकी तनख्वाह भी रोक ली जाती है."

क़ानून जो छीन रहा है लोगों की रोटी


खाड़ी से बेरोजगार होकर लौटे चंद्रन अपने परिवार के साथ.
क्लिक करें सऊदी अरब में तकरीबन 20 लाख भारतीय काम करते हैं और इनमें से एक बड़ा तबका ऐसा है जो छोटे मोटे काम करने वाले श्रमिकों की श्रेणी में आता हैं.
लेकिन अब सऊदी अरब ने अपने देश में नए श्रम क़ानून को लागू कर दिया है.
नए 'निताकत क़ानून ' यानी कि श्रम क्लिक करें क़ानून के मुताबिक सऊदी अरब से संचालित हर कंपनी में कम से कम 10 प्रतिशत कर्मचारी स्थानीय नागरिक होने चाहिए.
इस नए क़ानून के चलते कई क्लिक करें भारतीयों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है.
सऊदी अरब की सरकार ने नए काननों को क्लिक करें कड़ाई से लागू करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से हज़ारों की तादाद में भारतीय नागरिक सऊदी अरब से निकलकर वापस आने को मजबूर हो रहे हैं.

चंद्रन की कहानी

सऊदी अरब के नए कानून का सीधा असर केरल की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है.
क्लिक करें केरल के मालाबार के क्लिक करें इलाके में रहने वाले चंद्रन बीस सालों तक रियाद में वेल्डर का काम करते थे. मगर अब वो बेरोज़गार हैं.
नए क़ानून के लागू होने के बाद उन्हें वापस भेज दिया गया है. चंद्रन को मलाल है कि अपनी इकलौती बेटी के भविष्य के लिए कुछ भी जोड़ नहीं पाए हैं.
केरल के मलाबार के तट पर पिछले कुछ महीनों से ऐसी कहानियों का सैलाब सा आ गया है.
चंद्रन रोज़ रोज़गार की तलाश में निकलते हैं. मगर उन्हें अपने जिले मल्लापुरम में काम नहीं मिल रहा है. चंद्रन का तनाव बढ़ता जा रहा है.
बीबीसी से बात करते हुए चंद्रन कहते हैं, "मैं बीस सालों से सऊदी अरब में काम कर रहा था. मुझे अब वापस भेज दिया गया है. मेरे पास न तो घर है और न पूँजी. यहाँ मेरी बीवी और बेटी किराए के मकान में रहते हैं. मैं अब क्लिक करें बेरोज़गार हूँ. यहाँ काम करने की कोशिश की, मगर काम नहीं मिल रहा है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब क्या करूं."

जिम्मेदारी किसकी?

अब्दुल रज्जाक
अब्दुल केरल में नई नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं.
लेकिन लौटना उतना आसान भी नहीं है क्योंकि सऊदी अरब में काम कर रहे कई भारतीयों के पास वैध वीज़ा नहीं है.
सऊदी सरकार ने भारतीय कामगारों को तीन जुलाई तक देश छोड़ने को कहा है.
इस अवधि के बाद जो लोग वहां काम करते पाए जाएंगे, उन्हें क्लिक करें जेल भेज दिया जाएगा.
मलयाली अख़बारों के स्तम्भकार सीके अब्दुल अज़ीज़ कहते हैं, "भारत सरकार और सऊदी अरब में मौजूद भारतीय उच्चायोग ग़ैर ज़िम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए है."
वो कहते हैं, "कौन वहां काम कर रहे भारतीय कामगारों के लिए जवाबदेह है ? ज़ाहिर है इन हमारी सरकार. मगर वो अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं. कई कामगारों को सही वीज़ा नहीं होने की वजह से जेल में डाल दिया गया है. मगर वो अब वहां से वापस कैसे लौटेंगे. उनके टिकट कौन देगा. इस बात पर भारत सरकार ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है."

सऊदी सरकार की चेकिंग

केएनए खादर
सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रवक्ता खादर के मुताबिक सरकार इस दिशा में कोशिश कर रही है.
मल्लाप्पुरम के ही रहने वाले अब्दुल रज्ज़ाक भी मदीना के एक अस्पताल में एक्स-रे टेक्नीशियन थे. अब उनकी जगह सऊदी नागरिक ने ले ली है.
उन्हें भी 15 सालों की नौकरी के बाद अचानक भारत वापस भेज दिया गया है.
पन्नीगंगरा गाँव में अपने पिता के घर पर वो इस सोच में डूबे रहते हैं कि अब वो क्या करेंगे. केरल में रोज़गार के ज्यादा अवसर नहीं हैं.
बातों बातों में वो कहते हैं, "वहां सऊदी सरकार की जाँच चल रही है. सब काम करने वाले लोगों के लाइसेंस चेक किये जा रहे हैं. हमारे पदों पर सऊदी नागरिकों को रख लिया गया है. अब यहाँ मैं नौकरी ढूंढ रहा हूँ मगर ये उतना भी आसान नहीं है. मेरे पास ज्यादा पैसे जमा नहीं हैं. परिवार के सारे लोग बहुत उदास है क्योंकि मैं वापस आ गया हूँ."
रज्ज़ाक का कहना है कि उन्होंने वापस लौटकर अपने जिले के कई अस्पतालों में आवेदन दिया है. मगर कहीं से उन्हें कोई बुलावा नहीं आया है.

सरकारी की परेशानियां

सऊदी अरब से अब तक सात हज़ार लोग वापस भेजे भी जा चुके हैं. जिनमे से सबसे ज्यादा मालाबार के इलाके के लोग हैं.
देश के दूसरे राज्य मसलन बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी सऊदी अरब से कामगारों के लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है.
बड़ी तादाद में कामगारों की वापसी ने केरल की सरकार की परेशानियां बढ़ा दी हैं.
"ये मामला काफी गंभीर है. जिन लोगों को जेल में भरा जा रहा है, उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है. सिर्फ वीज़ा की शर्तों का उल्लंघन हुआ है. केरल की सरकार ऐसे कामगारों की रिहाई के लिए सऊदी अरब पर दबाव डाल रही है."
केएनए खादर, सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रवक्ता
राज्य सरकार का दावा है कि वो वापस लौटे कामगारों की मदद की हर मुमकिन कोशिश कर रही है.
केरल की यूडीएफ़ गठबंधन के प्रवक्ता केएनए ख़ादर मानते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर सऊदी अरब से कामगारों की वापसी ने राज्य के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है.
सरकार के सामने उससे बड़ी चिंता है कि श्रम क़ानून के उल्लंघन के आरोप में सऊदी अरब की जेलों में भरे जा रहे भारतीय कामगार.
खादर का कहना है, "ये मामला काफी गंभीर है. जिन लोगों को जेल में भरा जा रहा है, उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है. सिर्फ वीज़ा की शर्तों का उल्लंघन हुआ है. केरल की सरकार ऐसे कामगारों की रिहाई के लिए सऊदी अरब पर दबाव डाल रही है."
केरल के एक बड़े इलाक़े की अर्थव्यवस्था खाड़ी में नौकरियों पर निर्भर है.
इस राज्य में हज़ारों लोगों का सपना अरब सागर के उस पार जाकर पैसे कमाने का होता है लेकिन सऊदी अरब के नए निताकात क़ानून के बाद अब ये ख़्वाब बिखरता हुआ नज़र आ रहा है.

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