Monday 9 September 2013

आधार कार्ड भारत का नागरिक होने का प्रमाणपत्र नहीं!

आधार कार्ड भारत का नागरिक होने का प्रमाणपत्र नहीं!

aadhar card is not the certificate of citizenship

देशभर में आधार कार्ड को अनिवार्य करार देकर विवाह, आय, संपत्ति समेत विभिन्न स्तरों पर पंजीकरण को भले ही लोगों की परेशानी का कारण बनाया जा चुका हो, लेकिन केंद्र सरकार की माने तो यह एक वैकल्पिक योजना है।

यह आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लोगों को सुविधा देने का माध्यम है। यह नागरिकता का साक्ष्य या निवासी होने का प्रमाणपत्र नहीं है। सरकार ने यह जवाब कहीं और नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में दिया है। पर शनिवार को राज्यसभा में इस मुद्दे पर उठे सवाल पर केंद्र ने चुप्पी साध ली।

यूआईडीएआई की आधार योजना की कानूनी वैधता पर मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के सांसद पी. राजीव ने सवाल उठाया। उन्होंने राज्यसभा में कहा कि आधार कार्ड को महज कार्यकारी आदेशों के जरिए लागू किया गया है। संसद में इस पर कोई कानून नहीं बना है। ऐसे में हरेक सुविधा पर अड़ंगा लगाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य क्यों करार दिया जा रहा है।

बहस के दौरान सरकार की इस प्रभावी योजना पर उठे सवाल पर सांसद को कोई जवाब नहीं मिला। सरकार ने चुप्पी साध ली। संभवत: सरकार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह मामला सर्वोच्च अदालत में है।

योजना की अनिवार्यता के पक्ष में यदि कोई जवाब दिया जाता है तो उसका असर अदालत की कार्यवाही में दिखाई देगा। दूसरी ओर, कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के शासित प्रदेशों में आधार कार्ड को विवाह, जाति, आय, राष्ट्रीयता, निवास, जन्म-मृत्यु, संपत्ति के प्रमाण पत्रों को बनवाने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।

सर्वोच्च अदालत ने इस मुद्दे की जांच करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने इस मुद्दे पर स्पष्ट किया है कि यह एक वैकल्पिक योजना है, जिसका नागरिकों के अधिकार से कोई लेना-देना नहीं। आधार कार्ड औपचारिक पहचान पत्र भी नहीं है।

यह योजना सिर्फ आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को सरकारी सहायता देने के मामले में जरूरी है। इसके विपरीत दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों की सरकारों ने आधार कार्ड को अनिवार्य तौर पर लागू कर दिया है।

शीर्षस्थ अदालत में आधार योजना की कानूनी वैधता को कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस केएस पुत्तास्वामी ने चुनौती दी है। अदालत इस मसले पर दो हफ्ते बाद अंतिम सुनवाई करने वाली है, क्योंकि याचिका में इस योजना को मूल अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है।

गौरतलब है कि बांबे और चेन्नई हाईकोर्ट में भी आधार योजना की कानूनी वैधता का मुद्दा लंबित है, जिसे सर्वोच्च अदालत ने केंद्र की मांग पर अपने पास स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।

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