Monday 9 September 2013

पापा का फ़ोन आया कि अभी और ग्रैंड स्लैम जीतने हैं: पेस

पापा का फ़ोन आया कि अभी और ग्रैंड स्लैम जीतने हैं: पेस

 सोमवार, 9 सितंबर, 2013 को 08:41 IST तक के समाचार

लिएंडर पेस और राडेक स्टेपानेक
भारतीय टेनिस खलाड़ी लिएंडर पेस और चेक गणराज्य के राडेक स्टेपानेक की जोड़ी ने रविवार रात यूएस ओपन के मेंस डबल्स का ख़िताब अपने नाम कर लिया. पेस का यह डबल्स का आठवाँ ग्रैंड स्लैम ख़िताब था.
इसके साथ ही वे 40 साल की उम्र में पुरुष डबल्स का ख़िताब जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गए. इस जीत के बाद उन्होंने बीबीसी से बातचीत की.
आर्थर एश स्टेडियम में बहुत से भारतीयों के बीच फ़ाइनल मैच कैसा रहा?
आर्थर एश स्टेडियम का माहौल बहुत ही बढ़िया था. न्यूयॉर्क में बहुत से भारतीय रहते हैं. हमारा मैच देखने के लिए और हमारे समर्थन के लिए सब आए हुए थे.

इसके लिए मैं सबका धन्यवाद करता हूँ. यह मेरा 31 वहाँ ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल था और 14वीं बार मैं जीता हूं. इसके लिए मैं अपने पार्टनर राडेक स्टेपानेक को भी धन्यवाद कहना चाहता हूँ. उसने पूरे हफ़्ते काफ़ी मेहनत की. उसने हर दिन डबल्स की रणनीति पर ध्यान दिया. वह आज बहुत अच्छा खेले.
सेमीफ़ाइनल में ब्रायन ब्रदर को हराने के बाद फ़ाइनल खेलने जब आप कोर्ट पर गए तो आपको कैसा महसूस हो रहा था?
सच बताऊं तो मुझे और राडेक स्टेपानेक को पता था कि सेमीफ़ाइनल ही हमारे लिए फ़ाइनल था. सेमीफ़ाइनल से पहले हमने ड्रॉ देखा था. उसके बाद हमें लगा था कि हममें और  ब्रायन ब्रदर्स में से जो जीतेगा, वह फ़ाइनल जीत जाएगा. हमारे खेल में  जीत-हार का अंतर काफी कम होता है. कभी-कभी एक प्वाइंट तो कभी-कभी एक शॉट. इसलिए हम दावे से तो कुछ नहीं कह सकते. मगर ब्रायन ब्रदर्स को हराकर हमें लग गया था कि फ़ाइनल के लिए हम फेवरेट हैं. सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल के बीच में दो दिन का अंतर था.

लिएंडर पेस और राडेक स्टेपानेक
इस दौरान हमने अच्छी तैयारी की. आज सुबह जब मैं उठा तो लगा कि आज का दिन अच्छा होगा. स्कोर बोर्ड से भी यह पता चलता है. हमने मैच 6-1, 6-3 से जीता है. हम जिनके ख़िलाफ़ खेले, वे बहुत अच्छे और मशहूर खिलाड़ी हैं. मुझे एलेक्ज़ैंडर पेया को पीठ में लगी चोट का थोड़ा दुख तो है, लेकिन यह हमारे प्रोफ़ेशन की आम बात है. हमें अपने शरीर पर काफ़ी मेहनत करनी पड़ती है. 40 साल की उम्र में शरीर और एकाग्रता बनाए रखने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ती है. इस  जीत से मैं काफ़ी ख़ुश हूँ.

कहा जाता है कि डबल्स, ख़ासकर पुरुष डबल्स में आपका जादू चलता है. इसकी शुरुआत कैसे हुई?
इसकी शुरुआत कलकत्ता के एक छोटे से घर से हुई. हमारे माता-पिता ने बचपन से अब तक मेरी पर्सनेलिटी निखारने में काफ़ी मेहनत की. मेरी दो बड़ी बहनों ने भी काफ़ी मेहनत की. इसके लिए मैं उन दोनों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. मेरा परिवार मेरे पीछे है. वे मुझे बहुत सपोर्ट करते हैं, प्यार करते हैं. इसी समर्थन और प्यार के साथ मैं दुनिया भर में अपने देश और झंडे के लिए खेलता हूँ. यह सबसे बड़ी बात है. ओलंपिक में काफी कठिन समय था. जो भी हुआ वह मुझे अच्छा नहीं लगा. आज का दिन हमारे लिए काफी अच्छा रहा. उम्मीद करता हूं कि आने वाले सालों में मैं और कड़ी मेहनत करूंगा और और ग्रैंड स्लैम जीतूंगा.
चालीस साल की उम्र में डबल्स का खिताब जीतने वाला पहला खिलाड़ी बनने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई. आगे खेलने के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं? यह अलग तरह का अनुभव होगा, जिसकी मिसाल पहले नहीं मिलती है?
आज ही मेरे पिता जी ने टेलीफ़ोन कर ग्रैंड स्लैम जीतने की बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि कल से ही मेहनत शुरू कर दो. यह सुनकर राडेक स्टेपानेक ने कहा कि पापा आपके बेटे ने अभी आज ही ग्रैंड स्लैम जीता है. 31 ग्रैंड स्लैम के फ़ाइनल में पहुँच चुका है. इसे कम से कम एक दिन का तो आराम दे दें. इस पर पिता जी ने कहा कि नहीं, उसे और ग्रैंड स्लैम जीतना है. मेरा परिवार मुझे बहुत सहयोग करता है. मुझे हमेशा ट्रैक पर रखता है. यह बहुत अच्छी बात है. मैं अपनी बेटी अयाना को भी सिखाता हूं कि जीवन में जो भी काम करो पूरा दिल लगा कर करो. पूरे पैशन के साथ करो. मेरे पिता जी ने मुझे यही सिखाया है और मैं अपनी बेटी को भी यही सिखाता हूँ.

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