Monday 1 July 2013

मिस्र: फ़ौज ने दिया सरकार को 48 घंटे का वक़्त

मिस्र: फ़ौज ने दिया सरकार को 48 घंटे का वक़्त

 मंगलवार, 2 जुलाई, 2013 को 04:22 IST तक के समाचार

मोर्सी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन
मिस्र की फ़ौज ने देश के के राजनीतिक नेतृत्व को 48 घंटे में लोगों की मांगों पर विचार करने को कहा है.
मिस्र को मौजूदा संकट से उबारने के लिए फ़ौज ने राजनीतिक नेतृत्व को 48 घंटे का वक़्त दिया है. फ़ौज ने ऐलान किया है कि अगर सियासी लीडरशिप नाकाम हुई तो वो मुल्क़ की ज़िम्मेदारी अपने सिर ले लेगी और अपने हिसाब से भविष्य का ख़ाका तैयार करेगी.
देश के नाम अपने टेलीवाइज़ संबोधन में सेना प्रमुख जनरल आब्देल फत्ताह अल सीसी ने सभी नेताओं को हिदायत दी है कि वो लोगों की सुनें और लोगों की मांग पूरी करें.
आब्देल फत्ताह के मुताबिक देश इस वक़्त ऐतिहासिक क्षण से गुज़र रहा है. और ऐसी किसी ताकत को माफ नहीं किया जाएगा जो अपनी ज़िम्मेदारी लेने से इनकार करती हो.
बीबीसी रेडियो फोर के वर्ल्ड टुनाइट कार्यक्रम में पूर्व जनरल सामेह साएफ एल यज़ल ने कहा कि अब राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के लिए एक ही रास्ता बचा है.

सेना की कार्रवाई

"राष्ट्रपति मुर्सी को मिस्री जनता की इच्छा का सम्मान करना होगा. सड़कों पर मौजूद मिस्र के लोगों की एक ही मांग है- राष्ट्रपति चुनाव और कोई भी मुर्सी से इससे ज़्यादा कुछ नहीं चाहता."
सामेह साएफ एल यज़ल, पूर्व जनरल
सामेह साएफ एल यज़ल ने कहा, “राष्ट्रपति मुर्सी को मिस्री जनता की इच्छा का सम्मान करना होगा. सड़कों पर मौजूद मिस्र के लोगों की एक ही मांग है- क्लिक करें राष्ट्रपति चुनाव और कोई भी मुर्सी से इससे ज़्यादा कुछ नहीं चाहता.”
सामेह ने कहा है कि अगर मुर्सी कुर्सी छोड़ देते हैं तो इसके बाद सेना कार्रवाई कर सकती है. अगर वो ये काम नहीं करने जा रहे तो उन्हें ऐसा करने को मजबूर किया जा सकता है. इसलिए ये उनकी और मिस्र की इज़्ज़त का सवाल बन गया है.
हजारों मिस्री लोगों ने रविवार को राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरकर क्लिक करें प्रदर्शन किए थे. मुर्सी को राष्ट्रपति बने एक साल बीत चुके हैं.
काहिरा में मौजूद बीबीसी संवाददाता ने कहा है कि सेना की चेतावनी तख्तापलट की शुरुआत जैसी लगी थी लेकिन मुस्लिम ब्रदरहुड के एक प्रवक्ता ने कहा कि ये नहीं माना जाना चाहिए कि सेना प्रदर्शनकारियों का साथ दे रही है.

चेतावनी

मोर्सी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन
काहिरा में प्रदर्शनकारियों ने मुस्लिम ब्रदरहुड के हेडक्वार्टर पर हमला बोला था.
हालांकि मिस्री सेना के प्रमुख ने चेतावनी देने के साथ ही ये भी कहा है कि सेना राजनीति या सरकार में शामिल नहीं होगी.
सेना प्रमुख का बयान ऐसे वक़्त आया है कि जब प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी का इस्तीफ़ा मांग कर रहे हैं. इस बयान के कुछ मिनट पहले ही अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि मिस्र की जनता की मांग सुनी जानी चाहिए.
बराक ओबामा ने कहा, “ये साफ है कि मुर्सी को लोकतांत्रिक ढंग से चुना गया था. मगर ऐसे हालात पैदा करने के लिए बहुत काम करना पड़ेगा, जिसमें सभी लोगों को लगे कि उनकी आवाज सुनी जा रही है और सरकार उनकी सच्ची नुमाइंदगी करती है. तो हम सरकार से कहना चाहते हैं कि वो विपक्ष तक पहुंचे और इन सभी मुद्दों के राजनीतिक समाधान के लिए काम करे. ये अमरीका का काम नहीं कि वो प्रक्रिया क्या होनी चाहिए, ये बताए बल्कि उन तरीक़ों के ज़रिए काम होना चाहिए जिन्हें क़ानून मान्यता देता है.“
ओबामा का ये भी कहना था कि सभी राजनीतिक दलों को एक साझा समझौते की तरफ कदम बढ़ाने चाहिए. ओबामा इस वक्त तंजानिया के दौरे पर हैं.
बराक ओबामा
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मिस्री जनता की मांग को सुनने की बात कही है.
ओबामा के मुताबिक, “मुझे नहीं लगता कि लंबे समय तक मिस्र के फ़ायदे के लिए हालात खुद-ब-खुद सुधरने वाले हैं. ऐसे में सभी पार्टियों को अपनी अतिवादी सोच से पीछे हटना चाहिए. लोकतंत्र तब काम नहीं करते जब हर कोई ये कहे कि ये दूसरे की ग़लती है और मैं सौ फ़ीसदी वही चाहता हूं जो मैं चाहता हूं.”

मुर्सी के समर्थक

उधर, राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों का कहना है कि विपक्ष की मांग यूं ही स्वीकार नहीं की जा सकती.
एक प्रदर्शनकारी शाकिर हसन ने कहा, “जिन्होंने मुस्लिम ब्रदरहुड के हेडक्वार्टर पर हमला किया है वो भाड़े के लोग हैं. उन्हें किसने पैसा दिया है. नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के बारे में सभी जानते हैं. लोगों को पैसा देकर बताया जा रहा है कि उन्हें क्या करना है.”
एक और प्रदर्शनकारी हामिदी सुलेमान का कहना था, “अब लड़ाई देश की पहचान को लेकर है. जब से क्रांति हुई तब से सेक्युलर कही जाने वाली सेनाएं इस बात के लिए लड़ रही हैं कि मिस्र की पहचान इस्लामिक नहीं होनी चाहिए. मगर हमारा ज़ोर इस बात पर है कि मिस्र की पहचान इस्लामिक ही होनी चाहिए.”
इससे पहले मिस्र की सत्तारूढ़ पार्टी के हेडक्वार्टर के सामने हुए क्लिक करें संघर्ष में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई है. प्रदर्शनकारियों ने काहिरा में मुस्लिम ब्रदरहुड के हेडक्वार्टर पर क्लिक करें हमला बोला था.
मुर्सी सरकार के खिलाफ तमारुद आंदोलन चल रहा है, जिसके तहत रविवार को प्रदर्शन हुए थे और राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को मंगलवार शाम 5 बजे तक इस्तीफ़ा देने का अल्टीमेटम दिया गया था.


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